Sunday 11 August 2013

Jai Baba Mamchand ji ki history

                                           "Jai Baba Mamchand Ji Ki  jai"                                                                 


                               "जय  बाबा मामचन्द  जी की  जय "


                               "यह एक  अद्बुत कहानी है" 


मामचन्द एक सादारण आदमी था , ठोठी गाँव में इस के मामा जी थे । यह आर्मी में था । इसने वहाँ  पे किसी को गोली मार दी थी तो यह वहाँ से भाग के आ गया इस के पीछे कुछ आर्मी वाले लग गये तो यहाँ  किसी मुनि का स्थान देखा तो यह उस मुनि के पास गया और उस मुनि से सारी कहानी बताई और कहा की मुझे बचा लो तो उस मुनि ने उशे मखी बना दिया और दिवार पे चिपका दिया । 

जब वो आर्मी वाले आये तो वहाँ वो मुनि इक्ला ही मिला आर्मी वालो ने पूछा की यहाँ कोई आया क्या तो उस मुनि ने मना दिया तो वो आर्मी वाले वापस चले गये उन के जाने के बाद उस मुनि ने मामचन्द को फिर से आदमी बना दिया उस के बाद में मुनि ने उस को चले जाने को कहा तो उस ने जाने को मना कर दिया और कहा  की मुझे भी यह तंतर विधा सिखा  दो तो उस मुनि ने मना कर दिया लेकिन वह नही माना तो मुनि ने मामचन्द को सिखाने को हां कर दी । और कुछ महीनों में मामचन्द को तंतर विधा सिखा दी


तो कुछ दिनों बाद वह अपने मामा के यहाँ (ठोठी ) चला आया और यहाँ पे आ के एक मंदिर मे बढ़ गया । और उस ने वहा पे ही समाधी ले ली और  समाधी लेते वक़्त कहा की इस गावं में कोई भी शहीद नही होगा (  दुशमन की गोली से ) । और न ही शहीद हुआ है । 

उस वक़्त से और आजतक लोग उसे सुकल पक्ष की दवादशी को  पूजते है॥ 

                                    "जय  बाबा मामचन्द जी की जय "

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