Saturday 21 December 2013

सबसे पुराना शक्तिपीठ - कामाख्या मंदिर - यहाँ होती हैं योनि कि पूजा, लगता है तांत्रिकों व अघोरियों का मेला

कामाख्या मंदिर असम के गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर देवी कामाख्या को समर्पित है। कामाख्या शक्तिपीठ 52 शक्तिपीठों में से एक है तथा यह सबसे पुराना शक्तिपीठ है। जब सती  के  पिता  दक्ष  ने  अपनी पुत्री सती और उस के पति शंकर को  यज्ञ में अपमानित किया और शिव जी को अपशब्द  कहे तो सती ने दुःखी हो कर आत्म-दहन कर लिया। शंकर  ने सती कि  मॄत-देह को उठा कर संहारक नृत्य किया। तब सती के  शरीर  के 51 हिस्से अलग-अलग जगह पर गिरे जो 51 शक्ति पीठ कहलाये। कहा जाता है सती का योनिभाग कामाख्या में गिरा



उसी  स्थल पर कामाख्या  मन्दिर का निर्माण किया गया।  इस मंदिर के गर्भ गृह में योनि के आकार का एक कुंड  है जिसमे से जल निकलता रहता है। यह योनि कुंड कहलाता है।  यह योनि कुंड  लाल कपडे व फूलो से    ढका रहता है।                                                                         


इस मंदिर में प्रतिवर्ष अम्बुबाची मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें देश भर के तांत्रिक और अघौरी हिस्‍सा लेते हैं।  ऐसी मान्यता है कि 'अम्बुबाची मेले' के दौरान मां कामाख्या रजस्वला होती हैं, और इन तीन दिन में योनि  कुंड से जल प्रवाह कि जगह रक्त प्रवाह होता है । 'अम्बुबाची मेले को कामरूपों का कुंभ कहा जाता है।

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